योगी सरकार उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में लागू करेगी ये योजना, किसानों को होगा बड़ा फायदा

लखनऊ:अटल भूजल योजना अब यूपी के सभी 75 जिलों में लागू होगी. अब तक यह उत्तर प्रदेश के केवल 10 जिलों में ही लागू है. इससे जहां किसानों को खेती में लाभ होगा वहीं सूबे में लगातार गिरते जलस्तर को सुधारने की दिशा में यह बहुत अहम साबित होगी. इस योजना का मकसद उन इलाकों में भूजल स्तर को उपर उठाना है जहां यह बहुत ज्यादा नीचे जा चुका है. इसके जरिये भूजल स्तर में बढ़ोत्तरी होने से किसानों को बहुत ज्यादा फायदा होगा और वह कम खर्च में अधिक पैदावार ले सकेंगे.
ताकि प्रदेश को न हो जल संकट का सामना
अभी तक अटल भूजल योजना यूपी के 10 जिलों तक सीमित थी, लेकिन योगी सरकार प्रदेश में भूजल के गिरते स्तर को देखते हुए इसे पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने पर कार्य कर रही थी. अब इसे उत्तर प्रदेश के बाकी 65 जिलों में भी लागू करने का निर्णय किया गया है. योजना के अनुसार सरकार जहां जल संरक्षण पर जोर देगी और इसके नए तरीका करेगी वहीं खेत की सिंचाई में लगने वाले पानी के लिये भी वैकल्पिक स्रोत तलाशे जाएंगे, ताकि आने वाले समय में प्रदेश को जल संकट जैसी भयावाह स्थिति का सामना न करना पड़े.
पानी बचाने और सहेजने की कवायद
योजना के अनुसार इसकी आरंभ बेसलाइन सर्वे के साथ होगी, जिसमें जिलों के भूजल स्तर का विस्तृत शोध होगा. हर ब्लाॅक में ऐसे पाॅजीमीटर बनाए जाएंगे जो डिजिटल वाटर लेवल रिकाॅर्डर से लैस होंगे. इनसे टेलीमेट्री के जरिये रियल टाइम ग्राउंड वाटर लेवल का पता लगाया जा सकेगा. इसके जरिये पिछले पांच वर्षों के ग्राउंड वाटर लेवल का आंकलन किया जाएगा. भूजल शोध के लिये एक बड़ा माॅनिटरिंग नेटवर्क विकसित किया जाएगा. जल संचयन और प्रबंधन पर विशेष फोकस होगा.
भूजल स्तर पर निर्भरता बढ़ी
उत्तर प्रदेश में जल संपदा से परिपूर्ण प्रदेश रहा है. हालांकि तेजी से बढ़ती आबादी और खेती की जरूरतों के चलते लगातार हुए भूजल दोहन के चलते प्रदेश में भूमिगत जल स्तर में गंभीर गिरावट देखी गई. वैकल्पिक जल स्रोतों के धीरे-धीरे खत्म होने के चलते यह संकट और बढ़ता गया है. सरकारी रिपोर्ट की मानें तो सूबे में भूजल पर निर्भरता बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है. नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 70 प्रतिशत सिंचाई, 80 प्रतिशत पेयजल और औद्योगिक क्षेत्र की जरूरतों के लिये 85 फीसदी निर्भरता भूजल पर ही है.
चिंतित करने वाले भूजल स्तर के आंकड़े
भूजल संसाधन आंकलन 2017 के आंकड़े भूजल स्तर की चिंता को और बढ़ाने वाले थे. इसमें जहां सन 2000 तक प्रदेश में भूजल सुरक्षित विकास खंडों की संख्या 745 थी वहीं 2017 में यह तेजी से घटकर 540 क जा पहुंची. उत्तर प्रदेश के 82 विकास खंड अतिदोहित, जबकि 47 क्रिटिकल और 151 विकास खंड सेमीक्रिटिकल की श्रेणि में दर्ज किय गए. 2017 के भूजल संसाधन आंकलन में पहली बार राजधानी लखनऊ समेत अलीगढ़, मुरादाबाद, गाजियाबाद, मेरठ, बरेली, वाराणसी, प्रयागराज और कानपुर अतिदोहित दर्ज किए गए हैं, जबकि आगरा को क्रिटिकल श्रेणी में रखा गया है.